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शांति का पैग़ाम
#खोईशहरकीशांति
गजब की तकरार,
दंगे फसाद,का व्यापार।
रोये है " मानवता",
देख बढ़ी चहुं ओर दानवता।
पशुतुल्य था मंजर,
देखा,पीठ पर "खंजर"।
लगे सभी खोखला,
नफ़रतों का पहने जब चोला।
चीत्कार का हुड़दंग,
कहे खत्म करो ये जंग।
खुशहाली की तान,
सुना तू ,हरपल पे हे! इंसान।
न हो कहीं ख़ारिज,
तलाश लें ऐसे आजिज।
भूल "ईर्षा" का नाम,
शांति का दें , जो बस पैग़ाम।
तोड़कर ये जंजीरें,
बदल कौम की तकदीरें।
सब से बड़ा "धर्म",
"गिल"कर सबके हित में कर्म।
© Navneet Gill
गजब की तकरार,
दंगे फसाद,का व्यापार।
रोये है " मानवता",
देख बढ़ी चहुं ओर दानवता।
पशुतुल्य था मंजर,
देखा,पीठ पर "खंजर"।
लगे सभी खोखला,
नफ़रतों का पहने जब चोला।
चीत्कार का हुड़दंग,
कहे खत्म करो ये जंग।
खुशहाली की तान,
सुना तू ,हरपल पे हे! इंसान।
न हो कहीं ख़ारिज,
तलाश लें ऐसे आजिज।
भूल "ईर्षा" का नाम,
शांति का दें , जो बस पैग़ाम।
तोड़कर ये जंजीरें,
बदल कौम की तकदीरें।
सब से बड़ा "धर्म",
"गिल"कर सबके हित में कर्म।
© Navneet Gill
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