...

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दर्द जुदाई का
क्या मालूम था एक दिन तुमसे यूँ बिछड़ना होगा,
आख़री वक्त पर भी एक बार ना मिलना होगा।

न मिल सकने की कसक दिल में आज भी बाकी है,
हँस कर यां रो कर दर्द जुदाई का सहना होगा।

जाने वाले रोके से कब रुकते हैं इस जहां में,
आया है जो इस दुनिया में उसे जाना ही होगा।

काश गले मिलकर तुमसे एक बार रो लेते हम,
जब याद तेरी आई अश्कों को यूँ ही बहना होगा।

खुश्बू की तरह दिल में है है एहसास तुम्हारा,
लफ्ज़ों में बयां तो ना होगा लेकिन कहना होगा।