...

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क्या लिखू कुछ खास नहीं
क्या लिखू कुछ खास नहीं,
कुछ कहने को अब पास नहीं

प्यार, इश्क़,मोहब्बत लिख लिया,
मगर सुकून का कोई जरिया पास नहीं...

संघर्ष दिखा सकी ना कविताओं में अपनी,
जीवन जीना का तरीका भी तो कुछ खाश नहीं...

गिरती हूँ संभालती हूँ फिर गिरती हूँ ,
कभी चुनी मगर हार नहीं....

सच तो ये है जीवन का,
मुझे ये जिंदगी आयी कभी रास नहीं...

© श्वेता श्रीवास