...

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आसान होती दुनिया
गिर जाना तो फिर खड़े हो जाना यह तो सब ने सिखाया है,
पर गिरकर जो चोट लगे उसे पूछने कौन आगे आया है।

रो मत तुम किसी के सामने लोग फिर कमज़ोर समझते हैं,
दर्द है कितना इश्क में फिर यह जानने से लोग क्यों डरते हैं।

खाना बनाना सीख लो तुम वरना सब क्या सोचेंगे,
देश के लिए मरने का सपना है उसका इतना ऊंचा लोग कहां सोचेंगे।

घर की जिम्मेदारी तुम पर है अब तुम्हें लड़कों की तरह रहना है,
सिर्फ दस साल का है जिसको सबने पत्थर सा मजबूत बनाने का ठाना है।

देर रात तक बाहर रहती है कैसा ही चरित्र होगा,
अपने मां-बाप के लिए हर मुश्किल पार कर रही है इससे ज्यादा कौन पवित्र होगा।

पैसे के लालच में है देखो कैसे पाई पाई जोड़ रहा है,
अपने परिवार के सपनों के लिए रात की नींद भी तो खो रहा है।

देर रात तक काम करते अपनी बच्ची को समय भी नहीं दे पाती है,
पर क्या पता उन सबको कि उस बच्ची को वही देवी और शक्ति नज़र आती है।

हमारी इन नजरों ने तो बस लोगों को देखा है,
पर सोच ने उन्हें जांच लिया।

इस संसार में कौन क्या है और कौन कैसा है,
यह बिना उसने मिले ही हमने भांप लिया।

आसान होती दुनिया अगर लोग दूसरों से ज्यादा अपनी जिंदगी जीते,
खुश होती यह धरती अगर सब नफरत से ज्यादा अपनाने में यकीन करते।



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