...

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और क्या दे वो?
हर एक याद मेरी दिल से अब मिटा दे वो।
जिसके साथ है उसे दिल से अब वफा दे वो।

मैं चाहता हूं वो याद आए आखरी दम तक।
मैं चाहता हूं कि मेरा नाम तक भुला दे वो।।

बीती बातों से हासिल नहीं है कुछ भी अब ।
बीती बातों को मिट्टी तले दबा दे वो।।

उसके पास रखे होंगे अब भी खत मेरे।
बेहतर है कि उन खतों को अब जला दे वो।।

यही दुआ है कि अब खुश रहे वो मेरे बिन।
उसके बिन जी सकूं मुझको भी हौसला दे वो।।

खुदा ने दे दिए हैं इस जहां के सारे गम।
बताओ तुमको "राम अवतार" और क्या दे वो?

© राम अवतार "राम"