इतना ही काफी है
इतना ही काफी है
के मेरी मौत पर वो आ गए,
इतना ही काफी है,
कि अपने अश्क दो छलका गए, इतना ही काफी है।
मुझे लगता था कि बस खत्म है,
ये दास्ताँ मेरी,
वो लिखने को नया कुछ दे गए,
इतना ही काफी है।
के अब जन्नत मिले या दोज़तों में फ़िर जला भी दें,
ये महफिल याद रखे अब मुझे या फिर भुला भी दे
तसल्ली है मुझे पर महफ़िलों इस बात की ज़्यादा
मैं अब भी याद हूँ उनको,
के बस ,इतना ही काफी है।
के मेरी मौत पर वो आ गए,
इतना ही काफी है,
कि अपने अश्क दो छलका गए, इतना ही काफी है।
मुझे लगता था कि बस खत्म है,
ये दास्ताँ मेरी,
वो लिखने को नया कुछ दे गए,
इतना ही काफी है।
के अब जन्नत मिले या दोज़तों में फ़िर जला भी दें,
ये महफिल याद रखे अब मुझे या फिर भुला भी दे
तसल्ली है मुझे पर महफ़िलों इस बात की ज़्यादा
मैं अब भी याद हूँ उनको,
के बस ,इतना ही काफी है।