...

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हो गर इश्क तो....।♥️
♥️
मोहब्बत अव्वल तो न ही हो,
और अगर हो तो फिर बेहद हो,

हो गिरफ़्त में जो भी कोई इसके,
उसकी फ़िर न कभी ज़मानत हो,

समंदर सरीखी हो नुमाया गहराई,
और ऊंचे आसमान जैसी हद हो,

हुआ जो शामिल जुर्म ए इश्क में,
हो कैद ए उम्र जो कभी न रद्द हो,

चेहरा, दिल, जिस्म क्या कहिए,
रूह ए यार तक इश्क की ज़द हो,

अश अश करे दुनिया फिर हैरत से
इश्क का ऐसा किरदार ओ कद हो!
♥️🌸♥️🌸♥️🌸♥️

— Vijay Kumar
© Truly Chambyal