...

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"बेवफ़ा वो नहीं!" (अपडेटेड)
ASHOK HARENDRA
© into.the.imagination
§§

"कह गया वो बेदर्द, निशानी देते हुए मुझे,
आऊँगा तो पहचानूंगा, इसी निशानी से तुझे,

दिन गुज़रे, हफ़्ते और फिर महीने,
साल गुज़रे इस क़दर, जैसे सदियां गुज़र गईं,
मैं आज भी खड़ी हूँ, उसकी निशानी संभाले हुए,

कर गया वादा वो, उम्रभर साथ रहने का,
उसका इंतज़ार करना, मेरे जुनून में था,

न आया फिर कभी वो, मुझे दोबारा नज़र,
दगाबाज़ वो कमबख़्त, अपने ख़ून से था,

जिसे समझती रही मैं, आज तक बेवफ़ा,
मुद्दतों से वो ज़ालिम, क़ब्र में सुकून से था!"


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#treasure_of_literature