...

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खानदानी बचपन


जाते नभ में हम भी तो क्या,
अलग अजब ये बात होती ,
चीर नभ को आसमा पाते,
बर्फो की बरसात होती,
दीखे शून्य से शून्य कभी जो,
तारे टिम टिम टिम करते,
कलम दवात और,
स्याही छोड़े,
घर स्कूल का रास्ता मोड़े,
जाते सपनों में हम भी तो क्या,
अलग अजब ये बात होती ,
गिन चुनकर हम प्यारे सपने,
अपने अपने सपनों में लाते,
मिल नहीं पाती,
देखी हुई चीजे जो सपनों में
ढूंढ उन्हें हम घर को लाते,
सुने गीत जिन परियों के
मिल पाती वो जादुई छड़ी,
हमें भी तो क्या,
अलग अजब ये बात होती,
चिर नभ को छान मारते,
अमृत भी दूर न रहता....


© --Amrita