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इक तरफा प्यार (भाग — २) …..
मैँने मेरी साँसों को क्यो कैद कर रखा है ।
तक्लीफ क्यो उठाओ!
क्यो ना आज इसे आजाद करदूँ…?
मैं अपने शरीर के हर वो दर्द को,
प्यार से मुक्त कर!
क्यो ना आज इसे आबाद करदूँ….?
इस जीवन की कहानी !
यहाँ बूँदो मेँ बिकता है पानी….
प्यार से लेकर बेवफाई तक,
सबकी दिलचस्प है कहानी….
हर कोई जी रहा है अपनी धुन में,
बनकर राजा और रानी….
आज की बात नही है साकी,
यह सदीयों की बात पुरानी….
फूलों से गिरते पानी जैसी!
सुबह हो तुम,
किसी राजा और रानी की जैसी!
कहानी हो तुम….
शायद तुम ना होते तो!
यह मेरा वजूद ना होता,
आहे भरता रहते हम!
और यह दिल यूँही चूर-चूर ना होता….
कैसे पता चलता "जिंद" !
कि यह जुदाई में क्या हैं….
इन्तजार ही करते रहते हम!
कि रुसवाई में क्या हैं….
अगर! कोई राज तुम ना होती!
तो यह कुछ भी ना ऐसे होता….
ना हमें तुमसे प्यार होता और!
तो यह एक तरफ़ा इज़हार हमसे कैसे होता….
#जलते_अक्षर
© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻
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