...

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भगवान हो गये
कुछ हिन्दू हो गये, कुछ मुसलमान हो गये
सत्ता के लिये, आज सब कुर्बान हो गये।

सिरपर चढ़ाकर जिसने, पहुँचाया अर्श तक
सियासती सीढ़ी के, पायदान हो गये।

गुमां था बहुत अहमियत पर, हमको हमारी
हम, मौके भर, जरूरती सामान हो गये।

शाषन नहीं, साधन नहीं, सहूलियतें नहीं
मुद्दे वही, श्मशान-कब्रिस्तान हो गये।

पी-पी, के पानी, कोसते थे, कल तलक़ जिन्हें
आज उनके हर गुनाह से, अनजान हो गये।

ये जो कहते हैं, बस वो ही सच है, मान लीजिये
ये खुद ही, ख़ुदा, ईश्वर, भगवान हो गये।

रंगों के बदलने की बात, क्या कहें "भूषण"
गिरगिट से कहीं आगे, आज इंसान हो गये।।