...

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वो जब पूछते हो न , वजूद क्या है मेरा..?
वो जब पूछते हो न कि वजूद क्या है मेरा..?
कुछ इस तरह से करती हूं अपनी ज़िंदगी में ज़िक्र तेरा ।

मेरे खयालों को पंख देने वाली उड़ान हो तुम ,
मेरी आन , बान और शान हो तुम ।

इन आंखों के समंदर में डूबने वाली कश्ती हो तुम ।
मेरी खुशी , मेरे गम , मेरे हर एहसास को संजोने वाली बस्ती हो तुम ।

मेरे दिल में धड़कती हुई धड़कन का एहसास हो तुम ।
मेरे पास न होकर भी ,होने वाला आभास हो तुम ।

मेरे चेहरे पर आने वाली मुस्कान हो तुम ।
मेरा फक्र , मेरा एतबार , मेरा ईमान हो तुम ।

मेरे दिल की बगिया की महक हो तुम ,
मेरे खामोश लफ्जों की चहक हो तुम ।

मेरे लबों पर रहने वाला इन्कार हो तुम ।
मेरी आंखो से झलकने वाला इकरार हो तुम ।

मेरे सपनों और तमन्नाओं की नदी का दरिया हो तुम ,
इस हलचल से भरी दुनिया में जो मेरे दिल को सुकून दे , वो जरिया हो तुम ।

तो वो जब पूछते हो न कि वजूद क्या है मेरा ..?
मेरी ज़िंदगी में, मुझसे भी ज्यादा जिक्र है तेरा......🖤






© minisoni