...

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भैया
यह एक अद्भुत रिश्ता है
जो भाई और बहन कहलाता है
जो एक ही मां की संतान हैं
यह एक पवित्र रिश्ता है।

भैया बहना बहना कहते थे
बहना भैया भैया कहकर
भाई के पीछे पीछे दौड़ती थी,
फिर दोनों पतंग उड़ाया करते थे।

जैसे जैसे बड़े होते गए
दोनों का प्यार बढ़ते गए,
फिर एक दिन ऐसा आया
एक दूसरे से जुदा हो गए।

बहना को ससुराल भेजकर
भैया एक वीर सिपाही बने,
दूरियां बढ़ी, तन्हाई भी बढ़ी
साथ ही प्यार भी बढ़ते गए।

दिन गुजरे, महीना गुजरा
साल भी बीतता गया।
अचानक दोनों को याद आई
राखी के दिन मतवाले।

तैयारी खूब थी भेंट करने की
लेकिन लाचारी कुछ ऐसी थी
बज गयी जंग की डंका
मां की रक्षा हेतु चल दिया वीर।

प्रतीक्षा थी साथ बेचैनी भी
बहन के मन दुविधा उठी
अंत में संदेश आया
भाई के मां की रक्षा हेतु बलिदान की

आंखें नम ,मन में पीड़ा
बहता रहा आंसू की धारा
अचानक कोई कान में बोला
बहना ओ मेरी बहना।