...

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एक candle जलाया गया फिर सब कुछ भुलाया गया.....😣


वो अंधेरी रात जब सड़क पर गुजर रही थी,
डरी हुई थी आंखे उसकी
मन ही मन वो झिझक रही थी

एक अंजान कदम उसके और बढ़ता चला गया,
धीरे-धीरे करके उसका सारा अस्तित्व मिटा दिया

वो चीखी चिल्लाई दर्द से तड़प रही थी,
इंसाफ की खोज में दर-दर भटक रही थी

वह दरिंदों ने उसके एक-एक वस्त्र उतार था,
तड़प रही थी फिर निर्भय उनकी मर्दानगी को धिकारा था

रूह तक आप गई देखने वालों की
फिर भी किसी ने उसके और एक कदम बढ़ाया नहीं,
चिल्ला चिल्ला कर आवाज दे फिर भी किसी ने उसे बचाया नहीं

ना शर्म थी उन आंखों में ना बहता आंखों में पानी था,
एक लाचार महिला का इतना सा कहानी था

7 साल लगे उसकी मां को अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने को,
पांव पांव में छाला पड़ गए उनके अदालत के दरवाजा खटखटाना को

और क्या किया हमने फिर
एक छोटा सा कैंडल ही तो जलाया था ,
फिर से कल से वही काम उसकी यादों को अखबार के पन्नों में दबाया था

रचा गया फिर एक नया अध्याय इतिहास का
हर गलियों में निर्भया जैसी कई बेटियां होती रही बलात्कार का

किसी ने कम ही नहीं बढ़ाया फिर,
देश के हर कोने में बेटियों की उतरती जा रही है चीर

चलो आज एक प्रण ले
जो भी नारी का सम्मान को ठेस पहुंचाएंगे,
आंसू ना कैंडल नहीं दिया हम जलाएंगे,
सजा में सिर्फ एक ही
उन दरिंदों को जिंदा सड़क पर जलाएंगे
Shital mishra ❤️