...

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प्रेरणा ठाकरे
मुझे अनुभूत करने या कि
मेरी अधीरता को नापने
तुम आतुर रहे हो
सदा ही इसरो की तरह
मुझे कल्पनाओं में जियो
कहानियों में ढूंढों
कविताओं में संजो लो
मुझसे रिश्ता जोड़ो
कुछ भरम बने रहने दो
मत तोड़ो,
संवेदनाओं के उस तट पर
दूर से बात करो
अधिक निकट न आओ
न पीठ पर घात करो
मैं हूँ प्रेम के हर प्रतीक में
मुझसे बहुत प्यार करो
शीश पर मुझे सजा
खूब श्रृंगार करो
पर सुनो!
मेरी गहराइयों को नापकर
मत अनाधिकृत अधिकार करो
आत्मीय रिश्तों का
यूँ नही व्यापार करो
मुझे पाने की चाहत में
कुछ अच्छा हमसे रूठ जाएगा
चंद्रयान की तरह
कुछ सेंकड पहले ही
हमारा सपंर्क भी
टूट जाएगा।