...

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ईश्वर के वरदान
जगजननी सी मात हैं, जगतपिता से तात
इनको करके नमन तू, कर दिन की शुरुआत।

माँ जैसा ना गुरु कोइ, ना ही पिता सम मित्र
इनका सु-सानिध्य प्राप्त कर, गढ़ले अपना चरित्र।

मात-पिता प्रति हृदय से, रहना सदैव कृतज्ञ
इससे बड़ा ना धर्म है, और ना कोई यज्ञ।

जिनसे है जीवन मिला, उन्हें दीजिये मान
उनके स्वप्न साकार कर, कर उनका सनमान।

जनकों का आशीष ले, बन उनका अभिमान
मात-पिता का स्नेह है, ईश्वर का वरदान।।
                         
  -भूषण