...

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तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है !
दिल ये मेरा मुझे फिर उस मोड़ पर लाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

रुसवाई हुई थी जो इस दिल ने फिर उसे भुलाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

लेके यादों की बारिश, झूमके सावन आया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

सिमटे हुए पंखों को किसी ने फिर उड़ान के काबिल बनाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

बीती बातों का समन्दर फिर से इन आंखो में समाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

चांद के दीदार में मैंने फिर से तुझे पाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

गिले शिकवों से भरी गलियों में आज इश्क का परचम लहराया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

ख्वाइशों को मैंने मुस्कुराता हुआ पाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

बंद किए हुए पन्नो को , किताबों ने फिर खोल दिखाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।

इस बार तुझ से ना सही, तेरी यादों से दिल लगाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।





© minisoni