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तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है !
दिल ये मेरा मुझे फिर उस मोड़ पर लाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
रुसवाई हुई थी जो इस दिल ने फिर उसे भुलाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
लेके यादों की बारिश, झूमके सावन आया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
सिमटे हुए पंखों को किसी ने फिर उड़ान के काबिल बनाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
बीती बातों का समन्दर फिर से इन आंखो में समाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
चांद के दीदार में मैंने फिर से तुझे पाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
गिले शिकवों से भरी गलियों में आज इश्क का परचम लहराया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
ख्वाइशों को मैंने मुस्कुराता हुआ पाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
बंद किए हुए पन्नो को , किताबों ने फिर खोल दिखाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
इस बार तुझ से ना सही, तेरी यादों से दिल लगाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
© minisoni
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
रुसवाई हुई थी जो इस दिल ने फिर उसे भुलाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
लेके यादों की बारिश, झूमके सावन आया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
सिमटे हुए पंखों को किसी ने फिर उड़ान के काबिल बनाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
बीती बातों का समन्दर फिर से इन आंखो में समाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
चांद के दीदार में मैंने फिर से तुझे पाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
गिले शिकवों से भरी गलियों में आज इश्क का परचम लहराया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
ख्वाइशों को मैंने मुस्कुराता हुआ पाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
बंद किए हुए पन्नो को , किताबों ने फिर खोल दिखाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
इस बार तुझ से ना सही, तेरी यादों से दिल लगाया है ,
लगता है तेरे शहर ने फिर मुझे बुलाया है ।
© minisoni
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