...

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नयनों की ज्योति
भावी पीढ़ी,
बना मंज़िलों को सीढ़ी।
तुम निर्माता,
भविष्य का "पथ" तुम्हें पुकारता।

नादान बच्चे,
कहे संसार मन के सच्चे।
सीप में मोती,
माता पिता के नयनों की ज्योति।

लुभातीं बातें,
है धरा की हंसीं सौग़ातें।
भले नटखट,
खोलें मासूमियत के द्वार झटपट।

रहें सलामत,
है दुआ तलक क़यामत।
नन्हें चिराग़,
"गिल"जाये गम देख इनको भाग।

© Navneet Gill