...

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माँ.....
माँ ममता का सागर है
पहाड़-सा विश्वास है ।

माँ बरसती बारिश सी
बूंद-बूंद में मीठा जल है ।

माँ रिमझिम फुहारें सी
स्नेह है, करुणा है, धैर्य है ।

माँ निस्वार्थ बहती सी
नदी है, झरना है, झील है ।

माँ पुष्प-पुष्प में खिली सी
श्वास है, हवा है, इत्र है ।

माँ मृदु डांट-थपकी सी
चुंबन है, आलिंगन है, स्पर्श है ।

माँ उचित-अनुचित सी
खदान है, संस्कार है, गुरु है ।

माँ अपार श्रद्धा सी
कावा है, काशी है, कैलाश है ।

माँ नित्य प्रेरणा सी
बल है, उमंग है, साहस है ।

माँ ऋतु रक्षित सी
छांव है, छाता है, कबलं है ।

माँ सर्व यात्रा धाम सी
व्रत है, उपवास है, पूजा है ।

माँ हृदय पुकार सी
राम है, रब है, अल्लाह है ।

- शेखर खराड़ी
© -© Shekhar Kharadi
तिथि- १९/५/२०२२, मई