शीतल एहसास लेखक - मुकेश सागर
बाजरे का दलिया और
उसमें गुड़ की मिठास
तुम्हारे कमल जैसे
हाथों से खाने का
शहद सा एहसास
रात के गुस्से का
प्रेम में रूपांतरण
रात दिन तेरे स्पर्श का
मेरी देह में विचरण
छुअन तेरे प्यार की
मखमली एहसास लिए
मन में चित्रण तेरा
दार्शनिक आभास है
प्रेम "सागर " मैं
गोते खाता
अडिग हम दोनों का विश्वास है !!
गुरु तुम गोविन्द तुम
देह तुम आलिंद तुम !!!!!
गुरु गोविंद सिंह जयंती क हार्दिक शुभकामनाएं
माँ और पत्नी से बड़ा गुरु नहीं संसार में
उसमें गुड़ की मिठास
तुम्हारे कमल जैसे
हाथों से खाने का
शहद सा एहसास
रात के गुस्से का
प्रेम में रूपांतरण
रात दिन तेरे स्पर्श का
मेरी देह में विचरण
छुअन तेरे प्यार की
मखमली एहसास लिए
मन में चित्रण तेरा
दार्शनिक आभास है
प्रेम "सागर " मैं
गोते खाता
अडिग हम दोनों का विश्वास है !!
गुरु तुम गोविन्द तुम
देह तुम आलिंद तुम !!!!!
गुरु गोविंद सिंह जयंती क हार्दिक शुभकामनाएं
माँ और पत्नी से बड़ा गुरु नहीं संसार में