...

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मन के हारे हार है, मन के जीते जीत 🖤
समंदर की देख गहराई ,
नौका थोड़ी सी घबराई ।

क्या होगा अगर डूब जो गई मैं..?
क्या इस समंदर को पार कर पाऊंगी मैं..?

है डर बहुत इस मन में ,
थोड़ा होंसला पर बाकी है दिल में ।

होगा वही जो मुकद्दर को मंजूर होगा ,
पर डर से डरकर क्या डर दूर होगा ..?

सपने देखने से पहले जो डर न लगा ,
तो अब मंजिल के करीब आकर ये क्यूं लगा..?

थोड़ी हिम्मत खोई है ,
थोड़ी अभी भी बाकी है ।

तो करते हैं न इस सफर को पार ,
फिर चाहे जीत हो या हो हार ।

समंदर पार कर जीत जाएंगे हम ,
जो हार भी गए तो गिला नहीं , कुछ नया सीख जाएंगे हम ।

हारने और हार मान लेने में फर्क बहुत है ,
जीतने और सीखने में फर्क बहुत है ।

तो बस मन में संकल्प लिए बढ़े जा तू ,
आंधी हो या तूफ़ान , लड़े जा तू ।

क्योंकि, कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती ,
और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।


© minisoni