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"अक्स"
मेरे ख्यालों में अक्सर वो
महकता है!!
कुछ गुनगुनाती हूं जब भी मैं, वो
बनकर ग़ज़ल सा लबों पर सजता है!!
निगाहें हों बंद तो ख्वाबों में अक्स़ सा दिखता है
जो निगाहें हों खुलीं हुई तो तसव्वुर में हर लम्हा रहता है!!
वो तो है बेखबर मेरे इस दीवानगी से शायद,कि
किस क़दर उनका वजूद हम पर खुलूस रखता है!!
© Deepa🌿💙
महकता है!!
कुछ गुनगुनाती हूं जब भी मैं, वो
बनकर ग़ज़ल सा लबों पर सजता है!!
निगाहें हों बंद तो ख्वाबों में अक्स़ सा दिखता है
जो निगाहें हों खुलीं हुई तो तसव्वुर में हर लम्हा रहता है!!
वो तो है बेखबर मेरे इस दीवानगी से शायद,कि
किस क़दर उनका वजूद हम पर खुलूस रखता है!!
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