...

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वो घर वो बचपन दादी दादी का प्यार सब को स गया 🥺🥺🥺🥺
सब कुछ खो बैठे हैं हम🥺🥺🥺🥺
वो बचपन का आंगन आज हम खो बैठे हैं 🥺🥺
वो क प्यार खो बैठे हम🥺🥺🥺🥺🥺🥺🥺
वो मां का प्यार खो बैठे हम 🥺🥺🥺🥺🥺
पापा की नाराज़गी को बेठे हम🥺🥺🥺🥺🥺
बचपन के दोस्त को बेठे हम 🥺🥺🥺🥺🥺
भाई का बहन का प्यार खो बैठे हम 🥺🥺🥺
वो बचपन वाला घर खो बैठे हम 🥺🥺🥺🥺
वो बचपन की निशानीयां खो बेठे हम 🥺🥺🥺
वो प्यारा सा बचपन आज खो बैठे हम 🥺🥺
किसी ने पूछा कभ क्यों ऐसे हैं हम क्योंकि जिम्मेदारीयो के लिए हम खुद को खो बैठे हैं हम 🥺🥺🥺 रोते रोते सोना सिख गये है हम🥺🥺
रोता है दिल फिर भी मुस्कुराना सीख गये है हम 🥺
वो प्यारा सा बचपन खो बैठे हैं हम 🥺🥺🥺
© hatho ki lakiren aur kuch nhi......