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प्यार बरसाओ
यूं हसरतें तोड़ कर मेरी
सितमगर न बनो किसी फितना सी
प्यास प्यार भरी है जन्मो की
बरस ही जाओ घड़ी दो घड़ी

मेहरबानी की वो सूरत कैसे बने
अंगारों पे तो न चलाओ यूं तुम मुझको
मेरी धड़कन चल रही सहमी सहमी
आज ओ सनम मेहरबान बन तुम करम फरमाओ

कब खत्म होगी बुझी बुझी आंखों की विरानी
बहारे गले लगने को है आतुर बहुत
कर रही खुद ही की निगहबानी
उतरती आ रही अब सपनों की सांझ दिल पे मेरे ..

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© सुशील पवार