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मेहनत
एक एक पायदान,
बस एक और ईंट,
सबर रख,
होगी तेरी भी जीत।
एक डोर और मन्नतों की,
ना ठौर होगी फिर मिन्नतों की,
खुदा भी वाह कर उठे,
कर ऐसी बुलंद अपनी तकदीर।
लकीरें ना हों बरकतों की,
चीर दे हथेलियों की जंजीर,
आड़े ना आएं तुफान भी,
ऐसी कर तबदीर।
© Anamika Tripathi
बस एक और ईंट,
सबर रख,
होगी तेरी भी जीत।
एक डोर और मन्नतों की,
ना ठौर होगी फिर मिन्नतों की,
खुदा भी वाह कर उठे,
कर ऐसी बुलंद अपनी तकदीर।
लकीरें ना हों बरकतों की,
चीर दे हथेलियों की जंजीर,
आड़े ना आएं तुफान भी,
ऐसी कर तबदीर।
© Anamika Tripathi
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