मेरा संकल्प अपनों के लिए!
लिया है, एक संकल्प मैंने अपने लिए, अपनों के लिए,
आने वाले कुछ अनदेखे सपनों के लिए,
है ये लड़ाई खुद से ही मेरी इसलिए थोड़ी भारी है|
समय भी लगेगा थोड़ा, लेकिन अंत में जीत हमारी है|
बैठा नहीं था कभी, घर के आंगन में अपनों के संग,
लग रहा है जैसे, मिल गए हैं बिखरे कुछ रंग |
बोल रहा हूं उन साथियों को, जिनके अभी भी
नहीं बदल रहे ढंग,
हो जाओ एकजुट, तभी जीत पाओगे ये जंग|
फिक्र करो खुद की, ये जिंदगी इतनी भी सस्ती नहीं है,
देखो चारों ओर अपने कुछ प्रियमों को,
जिनकी तुम्हारे बिना कोई हस्ती नहीं है|
है कुछ दिन जो हंसकर,रो कर, मुस्कुरा कर निकल जाएंगे,
रहोगे फिर कहीं भी, ये लम्हे जरूर याद आएंगे|
बदल सकते हैं, घर पर तुम्हारे भेष,
बढ़ जाएंगे ये छोटे केश,
कुछ भी ऐसा नहीं करना,जो एक भी गलती बच पाए शेष|
तभी जिंदा रहेंगे हम,और हमारा देश|
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