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कली और फूल
#वर्णाक्षरमनोहारी
खिली रात में कलि नहीं ,
क्योंकि प्रिय से मिली नहीं ।
उसको था प्रिय का इंतज़ार,
दिल में उमड़ रहा था प्यार। ।
चेहरे पर थी अज़ब उदासी ,
थी वह प्रिय दर्शन की प्यासी ।
हुआ सवेरा सूरज आया ,
चिड़ियों ने भी गाना गाया ।।
हल्की-हल्की पवन चली जब ,
खिली कलि फिर फूल हुई तब ।
म।क उठा यह गुलशन सारा ,
लगे सुबह का यह पल प्यारा ।। S.S.
Sarita Saini
स्वरचित
© Lafz_e_sarita
#writco #WritcoPoemChallenge
खिली रात में कलि नहीं ,
क्योंकि प्रिय से मिली नहीं ।
उसको था प्रिय का इंतज़ार,
दिल में उमड़ रहा था प्यार। ।
चेहरे पर थी अज़ब उदासी ,
थी वह प्रिय दर्शन की प्यासी ।
हुआ सवेरा सूरज आया ,
चिड़ियों ने भी गाना गाया ।।
हल्की-हल्की पवन चली जब ,
खिली कलि फिर फूल हुई तब ।
म।क उठा यह गुलशन सारा ,
लगे सुबह का यह पल प्यारा ।। S.S.
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