...

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काना राजा
सब अन्धों में, जो काना है
तुम्हें, राजा उसे बनाना है,
ये राजनीति भी, इक धंधा है
यहाँ, सबको 'माल' कमाना है।

कहीँ अच्छे दिन के वादे हैं
कहीँ सस्ते बिल की कस्में हैं
अब ये तुमको तय करना है
किस क़ीमत पर, क्या पाना है।

हर किसी में, कोई मसला है
सबका, अपना इक अमला है
वर्षों पर, अवसर मिलता है
इसे सोच-समझकर भुनाना है।

मुझे नहीं पता, के सही है क्या
होता तो तुमको, बता देता
जहाँ लाभ दिखे, "भूषण" अपना
बस 'ठप्पा' वहीँ लगाना है।।