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कसक
कसक

एक कसक उठी दिल में पर आंखों में उसका असर आने नहीं दिया

ख़ौफ़ है उसका दिल टूट न जाए कहीं इसीलिए एहसास का क़त्ल किया

उसने परछाई बन हमेशा साथ निभाया मेरा
फिर केसे ले आती उसे अपने अंधेरों में

कैसे बेचैन होने देती में उसका मुस्कुराता चेहरा
इतना पत्थर दिल तो नहीं है मेरा
© khush rang rina