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शाम कुछ कहती है.....
हर शाम कहती हो कल शाम मिलेंगे,
क्यूं आती नहीं वो शाम जिस शाम मिलेंगे,
यूं अच्छा नहीं लगता ये शामों का बदलना,
कल शाम भी कहा था,कल शाम मिलेंगे,
आती है जब मिलने की घड़ी करती हो बहाना,
यूं मिलना अच्छा नहीं,किसी काम से मिलेंगे,
ये राह-ए-मोहब्बत है, यहां चलना आसान नहीं,
उंगली भी उठेगी तो इल्जाम मिलेंगे,
यक़ीन है मुझे वो दिन भी आएगा,
के सुबह शाम मिलेंगे, सरे आम मिलेंगे।
© King Vinay
क्यूं आती नहीं वो शाम जिस शाम मिलेंगे,
यूं अच्छा नहीं लगता ये शामों का बदलना,
कल शाम भी कहा था,कल शाम मिलेंगे,
आती है जब मिलने की घड़ी करती हो बहाना,
यूं मिलना अच्छा नहीं,किसी काम से मिलेंगे,
ये राह-ए-मोहब्बत है, यहां चलना आसान नहीं,
उंगली भी उठेगी तो इल्जाम मिलेंगे,
यक़ीन है मुझे वो दिन भी आएगा,
के सुबह शाम मिलेंगे, सरे आम मिलेंगे।
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