...

13 views

" मुसाफ़िर हूं मैं "
मुसाफिर हूं मैं यहां मेरा कोई पता तो नही,
कहा जाऊंगा मेरे आगे कोई रास्ता तो नही.

क्योंकर आती है मुझको बारहा हिचकियां,
बताओ जरा किसी ने मुझे याद किया तो नही.

एक तू ही क्या, मुझे तो छोड़ गए है सारे,
जिंदगी का रोना मेरे लिए अब नया तो नही.

एक खुशी मांगी थी, वो भी तो ना मिली,
सोचता हूं मैने मांग लिया कुछ ज्यादा तो नहीं.

क्या है मेरे पास क्यों कोई मेरा होना चाहे,
मेरे लिए दुनिया का प्यार महज़ दिखावा तो नही.

बे-वजह बे-बात खफा होने का ढूंढे वो बहाना,
मुझसे दूर जाने का कही उसका इरादा तो नही.

हाय, मेरे हाल पे अब तो हर कोई मुस्कुराता है,
इस भरी दुनिया के लिए मैं कोई तमाशा तो नही.
मानसी की कलम✍️