...

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चेहरे
राह पर चलते हज़ारों चेहरे दिखे,
कुछ मुस्कराते तो कुछ मुरझाए हुए दिखे।
क्या जाने किसकी ज़िंदगी में क्या चल रहा है,
क्या जाने कौन किस दौर से गुज़र रहा है।
पर सब मन को समझाए कदम बढ़ा रहे हैं,
जाने किस ओर चले जा रहे हैं।
और इस पल मुझे ये महसूस हुआ
कि इस कशमकश में मैं अकेला नहीं हूँ,
इस बिखरी हुई भीड़ में मैं अकेला नहीं हूँ।
'क्या होगा कल' इस बात से बेख़बर,
इक राह पर बस चला जा रहा हूँ।
© @Supermanreturns