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"गधा" (वर्ल्ड डंकी डे, 8 मई)
ASHOK HARENDRA © 2024
© into.the.imagination
§§

"गधा है क्या, है तो गधे का बच्चा,
गधा कहीं का, कितना बड़ा गधा है,"

मासूम-से बच्चे को, नाम कैसा दे डाला,
इतना सुंदर जीव है, पर गधा बना डाला,

हरी घास की चाहत नहीं, सूखी चरता जाता है,
कभी-कभी तो यह, भूखा ही रह जाता है,

जैसा कहे मालिक, वैसा काम करता है,
बोझा ढोने से भी, तनिक नहीं घबराता है,

है इतना सीधा, काम भी सीधे करता है,
आए कभी जो मस्ती, लात सीधी जड़ता है,

जितना कहलो गधा, नहीं शिकायत करता है,
बाहर हो या फिर घर, काम यही सब करता है,

रहता है खुश सदा, औरों को भी खुश रखता है,
केवल नाम का गधा, पर काम इसी से चलता है!"

(picture taken from Pinterest)
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#treasure_of_literature