...

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कैसे कैसे दर्द
किसी को प्यार का दर्द है,
जो मुक्कमल नहीं हुआ।
किसी को यार का दर्द है,
जिसका उसे दर्द नहीं मिला।
किसी को खुमार का दर्द,
जो अभी चढ़ा, अभी उतरा।
किसी को महरूमी का दर्द है,
जो मिटती नहीं है।
हमें जहां का हर दर्द बेहिसाब मिला,
पर शिकवा नहीं है।
हमारे तो दर्द को फिर भी दर्द है,
कि वो होकर भी हमारा ना हो सका।