...

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तेरी दुनिया से....
तुझसे जुड़ी हर याद, मिटा रहा हूँ मैं,
बस ऐसे ही, खुद को भुला रहा हूँ मैं।
दर्द ही देती है, हर इक याद तुम्हारी,
बेसबब नहीं, खुद को सता रहा हूँ मैं।
दीवानगी का इश्क़ में, अंजाम क्या,
हर पल खुद को, दिखा रहा हूँ मैं।
न भूले से भी आएगी, अब सदा कोई,
लो तेरी दुनिया से, चला जा रहा हूँ मैं।

© विवेक पाठक