...

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"किसी ने कहा था....."
किसी ने कहा था
तुम्हारे हैं सदा, आजमा के देख लो,
दिल में रहते हैं तुम्हारे, बुला के देख लो।
कितना दर्द देती है, जुदाई तेरी, मुस्कुरा के देख लो,
कितनी चाहत दिल में तेरी, पास आकर देख लो।

हाँ!किसी ने कहा था,,,
इक़ पल भी दूर रह न सकूँगी,
बेरुखी सागर सी तेरी सह न सकूँगी।
आनंद ही तेरा मेरे आनंद का सागर,
मैं तेरी नहीं, कभी कह न सकूँगी।

हाँ! किसी ने कहा था,,,मगर
अब तो इक़ पल भी जनम से बीते हैं,
क्या पता उसे अब, कैसे हम जीते हैं।
क्यूँ वीरान दुनिया, किसकी कशिश है,
अश्क़ों से ज़ख्म अपने, क्यूँ सीते हैं।

© विवेक पाठक