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एक रोज़
एक रोज मैं आऊंगी
जब तुम सो रहे होंगे
हौले से पास तुम्हारे
शब्द प्यार से कानों में
मैं तुम्हारे घोल दूंगी,
चिहुंक कर उठ बैठोगे
और थोड़ा मुस्कुराओगे
सूझेगी तुम्हें कोई शरारत
खींच लोगे तन पर अपने
हाथों में लेकर मेरा चेहरा
चूम लोगे सुर्ख़ लबों को
भीगी लटों से टपकती बूंदें
चमकेंगी तुम्हारे सीने पर
सुध किसे कि सुबह हुई
लबों की लबों से अरसे बाद
एक हसीन मुलाक़ात हुई
© सुधा सिंह 💐💐
जब तुम सो रहे होंगे
हौले से पास तुम्हारे
शब्द प्यार से कानों में
मैं तुम्हारे घोल दूंगी,
चिहुंक कर उठ बैठोगे
और थोड़ा मुस्कुराओगे
सूझेगी तुम्हें कोई शरारत
खींच लोगे तन पर अपने
हाथों में लेकर मेरा चेहरा
चूम लोगे सुर्ख़ लबों को
भीगी लटों से टपकती बूंदें
चमकेंगी तुम्हारे सीने पर
सुध किसे कि सुबह हुई
लबों की लबों से अरसे बाद
एक हसीन मुलाक़ात हुई
© सुधा सिंह 💐💐
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