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पहली दफ़ा ।
पहली दफ़ा जब देखा तुझे
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वो शाम बहुत ही रंगीन थी,
रात भी कुछ हसीन थी,
दिन का सूरज भी थोड़ा अलग ही दिखाई दिया,
ज़िन्दगी से भी ना कोई अपील थी ,

जो भी हुं खुद के लिए हूं ,
ना किसी की कमी और ना किसी की चाहत थी,
बस किसी के लिए किसी दिन मैं भी जरूरी रहुंगी,
इस बात में मैं लीन थी,

सहारा नहीं बनना है मुझे किसी का
और ना ही किसी की कमजोरी,
बस कभी खुद को अकेला पाऊ ना मैं,
हो कभी कोई मेरे इतना करीब भी ।

© Siya