...

6 views

पुकार
पुकार

जला दो फूँक दो उन किताबों के साए
जो दिखा नहीं पाती किसीको सही राहे

तोड़ दो उन रिवाज़ों की बेड़ी
जो अपना ही नहीं पाती नए ज़माने की पीढ़ी

बुझादो उन चिरागो को जो फैलाए अँधेरा
उतार फेको वो नकाब जो छिपा लेता है तुम्हारे मन का चेहरा

दिखादो सच सभी को के इंसान ही हो तुम नहीं कोई फरिश्ता
समय के साथ अच्छाइयों का होता नहीं है वास्ता

बिखर जाने दो उन सभी को जो कांपे है सच से
जला आते है तुमको तुम्हारे ही तो रिश्ते

© khush rang rina