...

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मैं वह नहीं हूं
ढूंढ़ते हो जिसे बार बार
मैं तो वह नहीं हूं।
चाहते हो जिसे मन से,
जिसकी तलाश है तुम्हें
दर्द का एहसास है दिल से,
जिसकी गमों की दुनिया में
जीते थे खामोशी में कभी,
मैं तो वह नहीं हूं।

वेवश है वह कहने को आज
होगा मजबूरी कोई उसका,
लगाम दुनिया वालों का
बनगया उसके सिरका ताज
चाहकर भी सुन नहीं सकता
किसी अनचाहा गुहार के साज
ढूंढ़ते हो जिसे बार बार
मैं तो वह नहीं हूं।