...

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औकात किसकी कितनी
कह दो उस तूफान से कि जिसने मेरा घौंसला उड़ाया है
उसकी औकात नहीं है कि वो मेरा हुनर छीन ले जो मेरी माँ ने सिखाया है
माना कि वो जीत गया है एकबार, मगर मेरा हौसला नहीं हराया है
सोचें गर ध्यान से तो तूफान का भी मैंने फायदा उठाया है
तोड़ दिया है जो उसने, उससे मजबूत घर बनाया है
हाँ टक्कर तो नहीं ले सकता तेरी कल भी, मगर आज ने इतना तो जरुर सिखाया है
कि ऐसे ही नहीं अब जिंदगी गुजर जाती है, हर
आज में भी कल का साया है
तू मिटाना मैं बना लूंगा, कुदरत ने हम दोनों को ऐसा ही बनाया है
तू तूफान है तेरी फितरत तबाही ही सही, हमने भी उखड़ कर जमने का गुण पाया है
ना तेरी ताकत कम है ना ही मेरा हौंसला डगमगाया है
हम यूँ ही मिलेंगे जब भी मिलेंगे, ना इसमें तेरी गलती है
ना ही मैंने ही कोई पाप कमाया है