सुख और दुःख
जीवन के दो साथी
सुख दुःख
पर रहते ना
कभी भी
ना स्थिर जीवन में
फिर भी
पता नहीं
कियू ना
समझ पाते हैं
लोग इतनी सी बात को
कोसा करते रहते हैं
कभी खुद को
तो कभी
ओरु को
सब खेल रच
भेजे हैं
पहले से कोई
बस हमे पहचाने जाने हैं
और समय कि जो माग वैसा करना है
सुख और दुःख
जीवन के दो पहलू
कभी ना रहते है
स्थिर
कवियत्री
बबिता कुमारी
© story writing
सुख दुःख
पर रहते ना
कभी भी
ना स्थिर जीवन में
फिर भी
पता नहीं
कियू ना
समझ पाते हैं
लोग इतनी सी बात को
कोसा करते रहते हैं
कभी खुद को
तो कभी
ओरु को
सब खेल रच
भेजे हैं
पहले से कोई
बस हमे पहचाने जाने हैं
और समय कि जो माग वैसा करना है
सुख और दुःख
जीवन के दो पहलू
कभी ना रहते है
स्थिर
कवियत्री
बबिता कुमारी
© story writing
Related Stories