...

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सुख और दुःख
जीवन के दो साथी
सुख दुःख
पर रहते ना
कभी भी
ना स्थिर जीवन में
फिर भी
पता नहीं
कियू ना
समझ पाते हैं
लोग इतनी सी बात को
कोसा करते रहते हैं
कभी खुद को
तो कभी
ओरु को
सब खेल रच
भेजे हैं
पहले से कोई
बस हमे पहचाने जाने हैं
और समय कि जो माग वैसा करना है
सुख और दुःख
जीवन के दो पहलू
कभी ना रहते है
स्थिर
कवियत्री
बबिता कुमारी

© story writing