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प्रेम
प्रेम समर्पण की अभिव्यक्ति
प्रेम अमूल्य अपार है जग में।
दुनिया के सब रिश्ते झूठे
प्रेम निहित संसार है जग में।

प्रेम की खुशबू रिश्तो में जब
प्रति पल महकती रहती है
जीने की तमन्ना बढ़ जाती है
जीवन में सरलता रहती है
आशा के पुष्प सुवासित होकर
खुशबू की जुबानी कहती है
मन मगन नाचता रहता है
उम्मीदों के उत्तुंग शिखर पर
आकर्षण का मोल कहाँ रहता है
प्यार भरे निर्गमित शहर पर
पथ प्रशस्त आगे बढ़ने का
सच्चा यह व्यापार है जग में।
प्रेम समर्पण की अभिव्यक्ति
प्रेम अमूल्य अपार है जग में।

प्रेम बनाता रंक को राजा
प्रेम से किस्मत संवर जाती है
छल दंभ द्वेष पाखंड की बदली
प्रेम से पल में बिखर जाती है
आदर्श समाहित प्रेम से होकर
गतिमान तरंगित हो जाता है
जीवन की इस परिभाषा का
सुंदरतम व्याख्या कर जाता है
आह्लादित होकर जनमन सब
प्रेम प्यार में सिमट जाता है
चलो जलाएं प्रेम का दीपक
प्रेम ही सच्चा उदगार है जग में।
प्रेम समर्पण की अभिव्यक्ति
प्रेम अमूल्य अपार है जग में।
दुनिया के सब रिश्ते झूठे
प्रेम निहित संसार है जग में।

प्रेम की खुशबू रिश्तो में जब
प्रति पल महकती रहती है
जीने की तमन्ना बढ़ जाती है
जीवन में सरलता रहती है
आशा के पुष्प सुवासित होकर
खुशबू की जुबानी कहती है
मन मगन नाचता रहता है
उम्मीदों के उत्तुंग शिखर पर
आकर्षण का मोल कहाँ रहता है
प्यार भरे निर्गमित शहर पर
पथ प्रशस्त आगे बढ़ने का
सच्चा यह व्यापार है जग में।
प्रेम समर्पण की अभिव्यक्ति
प्रेम अमूल्य अपार है जग में।
© राकेश कुमार सिंह