...

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हर इंसान संपूर्ण है,
अपने आप मे,
मगर अपूर्ण है बहार की दुनिया मे |
अपने आपको दुनिया की नज़र से देखोगे तो अधूरे ही बने रहो गे,इससे अच्छा है अपने आप मे संपूर्ण बनो|
दुसरो की खवाईसे कभी खत्म नही होती