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और ये लिखना मेने अपनी मां से सीखा है
वो भी लिखा करती थी
आज वो होती तो में कुछ और होता
आशिकी का शौक तो मुझे हैं ही नहीं
मां की पसंद से शादी करने वाला था
पर अब वो है नही तो
खुद ही करनी पड़ेंगी मुझे सोचता हूं कोई तो मिलेंगी
मुझे भी एक दो मिली थी but वो सब मतलबी थी
इस लिए अब में किसी पर विश्वास नहीं करता हूं
ना किसी को प्यार
जो तकदीर मैं होगी मिल जायेगी
मां पापा के जानें के बाद अब आदत सी हो गई है
अकेले रहने की
और मैं बहुत खुश हूं जिम्मेदारी तो नही हैं मुझ पर कोइ
क्योंकी घर का इकलोता बेटा था भाई बहन कोई नहीं है मेरे मां ने अच्छे संस्कार दिए हैं कभी किसी का बूरा नही सोचना भगवान का दिया सब कुछ है
इसलिए हमेशा happy रहता हूं
only enjoy