प्रकृति में घुलता संगीत.... या संगीत में घुलती प्रकृति
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"पर्वतों के पेड़ों पर
शाम का बसेरा है....
सुरमई उजाला है...
चंपई अंधेरा है...
दोनों अक्स मिलते है
दो दिलों की सूरत से...
आसमां ने खुश होकर
रंग सा बिखेरा है..."🎶🎶🎶
बादल , बारिश और फिर धुंध से ढकते नज़ारे.... गीली सड़क पर दौड़ती गाड़ी.... और अचानक ये गीत...कभी -कभी लगता है आजकल कुछ भी माँग लो मिल ही जायेगा 😂
समझ नहीं आ रहा कि गीत के अनुसार प्रकृति अपना रंग बदल रही है... या फ़िर... प्रकृति के बदलते रूप के साथ संगीत भी अपना रुख बदल रहा है.....
लिखने वाले सच में कमाल ही करते हैं, संगीतमय शब्दों में कितनी खूबसूरती से पिरो दिया है प्रकृति को.... और आवाज़ में खनक और खुबसूरती भी तो ऊपरवाले का ही आशीर्वाद है ....
आप में से पता नहीं कितने लोगों ने ये गीत सुना होगा ....लेकिन कभी पहाड़ों में जाना हो और प्रकृति को महसूस करना हो तो , सुनने लायक है ...
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#life_in_hills
© संवेदना
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