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सरकारी नौकरी
"सरकारी नौकरी"
सरकारी नौकरी जरूरी या बंधन । जरा गौर से समझना मित्रों ,सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अच्छी बात है करो ।लेकिन, उसके भरोसे जीवन को समाप्त न करो ।सरकारी नौकरी के चलते जीवन में आगे आने वाली खुशियों पर सब फोकस करते हैं मगर जो छूटा जा रहा है ,उस पर भी ध्यान देने की जरूरत है ।अच्छी लगे तो अपने भाव अवश्य व्यक्त करें।🙏🙏

" सरकारी नौकरी"

विजय सुनो ..! तुम्हारे सारे दोस्तों के बच्चे बड़े हो गए हैं। आखिर कब तक तुम नौकरी की जिद में जीवन बर्बाद करते रहोगे . ? निजी संस्थानों में भी अच्छी तनखाह की नौकरियां मिल रही है। जब तक सरकारी नौकरी ना मिले तब तक वही कर लो बेटा ।

रोहन गुप्ता ने अपने बेटे विजय गुप्ता को समझाते हुए कहा ,अब तुम्हारी मां और मेरी भी उम्र हो चली है। हमारे सामने विवाह कर पोते पोते के मुंह दिखला दो पता नहीं कौन सी रात आखिरी हो फिर ..!!

अरे पापा आप भी कैसे बातें करते हैं कितनी नकारात्मक सोच है आपकी। देखना एक न एक दिन मुझे मेरी मंजिल जरूर मिलेगी ,कहते हैं ना की शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात मदद करती है। देखना एक दिन आपका यह बेटा आपको आसमान की सैर करवायेगा ।विजय ने अपने पिता को समझाया तभी मां ने कहा _"सुनो गैस की टंकी खत्म हो गई है मुझ अकेली से नहीं लग रही आप मेरी सहायता करो पहले ,बाद में बाप बेटे आसमान की सैर पर जाना "..!

अभी आया मां विजय ने अपनी मां को आवाज दी फिर उसने गैस की टंकी लगाई।

विजय उनका सबसे छोटा बेटा है। उसके उससे बड़ी तीन बहने हैं। सभी की पढ़ाई पूरी होकर ब्याह दी गई और वह सभी अपने-अपने ससुराल में व्यस्त हो गई ।विजय की उम्र भी 35 वर्ष होने आई हर साल परीक्षा देता है ।और एक या दो नंबर से रह जाता है ऐसा नहीं है कि उसे प्राइवेट नौकरी नहीं मिल रही ,मगर सरकारी नौकरी की लालसा में वह भूल गया कि ,जीवन के कई पलों को खोते जा रहा है। रात दिन कंपटीशन एग्जाम की तैयारी करते-करते चेहरा निस्तेज होने लगा ।शरीर भी दुबला पतला हो गया ।खान-पान की कमी और नींद की पूर्ति ठीक से नहीं होने के कारण उसके बाल भी कम हो गए थे ।
कोई रिश्ता आता तो, रिश्तेदार उसे बेरोजगार बोलकर उन तक पहुंचने ही नहीं देते ,और भूले बिसरे आ भी जाता तो, उसके शारीरिक दिल डौल को देखकर कुछ दिनों बाद मना हो जाता । गुप्ता जी की खुद की पेंशन अच्छी थी। और घर का भी किराया अच्छा खासा आता था ,इसलिए घर को आर्थिक स्थिति ठीक थी मगर ,अब गुप्ता जी और रोहिणी जी की उम्र हो चली थी। खुद गुप्ता जी को रात को सोते तो लगता कि ,सुबह होगी या नहीं और जिसका डर था ,वही हुआ एक दिन उनका रोड एक्सीडेंट हो गया ।
2 दिन तक आईसीयू में भर्ती रहे और, वह अंत में चल बसे ।
भाई बहन और मां का बुरा हाल हो गया। जैसे-तैसे खुद को संभाल कर परिवार ने अंतिम क्रिया के सारे काम निपटाए ।

3 महीने बाद ही विजय ने फैसला किया , कि वो शहर के ही किसी महा विद्यालय में प्रोफेसर की जॉब कर लेगा।
उसके इस फैसले का सिर्फ़ उसके दिल के अलावा उसकी मां बहनों ने समर्थन किया। बेमन से वह प्राइवेट कॉलेज में नौकरी करने लगा नौकरी के कुछ दिन बाद ही उसकी शादी भी हो गई ।कुछ सालों बाद जिंदगी भी सही से चलने लगी।मगर जो उसने खोया था सिर्फ़ वो ही जानता था।

सरकारी नौकरी के चलते अपने जीवन के कई साल व्यर्थ गवा दिए ।जो विवाह उसका 15 वर्ष पहले होना था वह 40 की उम्र में हुआ। पिता उसे बेरोजगार देखते हुए ही चल बसे ।और भी कई बातें हैं लेकिन हम सभी का दर्द बयां नहीं कर सकते ।

सरकारी नौकरी अच्छी बात है।लेकिन जब तक दूसरी मिल रही हो उसके भरोसे जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहिए। यह कहानी लगभग हर घर की हो गई है ।मेरा निवेदन है कि यदि प्राइवेट जॉब मिल रही हो तो वही कर लो लेकिन जीवन को बर्बाद मत करो अगर आप भी मेरी बात से सहमत हो तो अपने विचार जरुर व्यक्त करें..! 🙏
अगर मेरे विचार से कोई आहत हुआ तो माफ़ी चाहती हूं..!!🙏

लेखक_ #shobhavyas
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