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नन्ही परी
लता एक बेटी को जन्म देती है इस वजह से उसके परिवार वाले उससे नाराज़ हो जाते हैं। कई साल बीत जाते हैं और सब घर के लोगों का बर्ताव आज भी बहू और उसकी बेटी के प्रति बुरा ही रहता है जबकि उसके बेटे नमन को सब प्यार करते हैं। अशोक जो की ख़ुशी का पिता है वो भी सबको समझाकर थक चुका होता है। नमन स्कूल जाता है और वहीं ख़ुशी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके सरकारी नौकरी का सपना लिए परीक्षाओं की तैयारी में लग जाती है। जब उसकी दादी उसे पढ़ता हुआ देखती है तब हमेशा सुनाती है कि क्या करेगी ये लड़की पढ़ लिखकर आख़िर जाना तो ससुराल ही है।ख़ुशी को उनकी बातों पे गुस्सा आता है पर वो कभी कुछ कहती नहीं है। साल भर हो जाता है उसे तैयारी में लगे वो परीक्षाएं भी देती है पर सफल नहीं हो पाती। अब जब परीक्षा का दिन क़रीब आता है तब ख़ुशी की दादी उसके पिता से लड़ पड़ती है कि इसकी शादी की उम्र निकलती जा रही है और तू है जो इसे मौके दिए जा रहा है परीक्षा देने के तेरा दिमाग तो ठीक है ना अशोक?
ख़ुशी रो पड़ती है और अपने कमरे में चली जाती है पर उसकी मम्मी उसे समझाती है और वो रोना बंद कर देती है और उनको गले लगा लेती है।
महीने गुजरते जाते हैं ख़ुशी अपनी परीक्षाएं देती जाती है। और आख़िर आ ही जाता है रिज़ल्ट का दिन ख़ुशी डरी हुई होती है। वो रिज़ल्ट चैक करती है और उसकी आंखों में आसूं भर आते हैं। वो सबसे पहले अपने पिताजी को कॉल करके बताती है कि वो पास हो गई। उसकी मम्मी रोते हुए अपनी बेटी को सीने से लगा लेती है नमन बड़ा ख़ुश हो जाता है और मिठाई लेने जा रहा हूं कहकर बाज़ार को निकल पड़ता है।उसके पिताजी आ जाते हैं और रो पड़ते है फ़िर अपनी ख़ुशी के सर पर हाथ फेरकर उसको गले से लगा लेते हैं।दादी मौन ही रहती है उनके पास कहने के लिए बचा भी क्या था
तभी उसके पिता कहते हैं ये वही नन्ही परी है जिसके पैदा होने पर सब नाराज़ थे और आज देखो मेरी ख़ुशी ने घर को खुशियों से रौशन कर दिया।बेटा नहीं मेरी प्यारी बिटिया है तू।

© rõõh