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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।।
सा स्त्री चूत स्वादिष्टानि या योनि सुगन्धित माई यह कादमि पुरूषार्थ निर्धारित भवताह यद्यपि योनि कुलाह चित्रणी निर्धारित कर्मा द्वारा पुष्टि कराणि भवति। यद्यपि श्रीकृष्णनम् यह कहवनति योनि स्वादिष्टानि तथा चूत सुगन्धिताहनि भवताह या असफला सा कन्या कुलाह कर्मा तथा क्रिया निशचिताह भवतानि।। सा स्वादिष्टानि निर्धारिताह सा रूहम् मोक्षम् योगयम् दृश्यन्ति और कादामि मोक्षम् अरदाशा पात्रा भवति सा यह गाथा अनन्त यद्यपि सा श्रीकृष्णनम् मुखयननयाधीस समसत्रम्
रणनीतिया रचनाम् अथावा सा विघादलय कादामि योनिम् शिकशिताम् भवति। इस गाथा में सब एक दूसरे की बात करेंगे और स्वार्थ में कार्य पूरा करेंगे अगर पूर्णतः सहमत सा गाथम् कादामि सा गाथम् कादामि रूकना नहीं और नाही विरामा करन्ति।।

यह गाथा अनन्त कहीं गाई है क्योंकि जिसमे मृतक अपनी योनि के कर्मों को काटने के बार बार पुनर्जन्म लेकर लौटा ही रहता अनतता जब तक कि उसके कर्म पूर्ण नहीं हो जाते वह अपनी प्रथम वर्ग के योनि के कर्मों को पूर्ण करने हेतु अलग अलग योनि में अपने द्वारा किए गए हैं गुनाहो पूर्ण करने हेतु अलग अलग योनि में जन्म पाकर जन्म को दंड रूप में सजा काटता ही रहता है और जीवन समाप्त हो जाता है मगर वो अपने द्वारा किए गए कर्मो काटने असफल हो ही रहते हैं और अलग अलग योनि प्राप्त कर स्वर्गम में खीर भोग लगाकर भी सन्तोष नहीं पाते क्योंकि उन्हें अपनी दनीय स्थित पर बहुत पीड़ा हो रही थी।
तभी लैसवी वैशया सा रूहम् भृमणाम् स्वीकारम् पीडनम् स्वीकारम् यद्यपि एकादी मांगा भवताह सा
जीवन रूपी दंड रूप से मुझे मुक्ति चाहिए हे परमेश्वर प्रियतम।।
इतना सुनते ही श्रीकृष्णनम् दीवानी रूहम् सवादाह भवति हम त्वम एकाह रूहम् मोक्षम् स्तुति वर्णना दशायनति 84 हजार योनिम सज़ा भोगम् योनि पिडियन्ते गाथामि प्रारंभिक परीक्षा प्रश्नपत्र अवधि।
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