...

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राधे -राधे क्यों बोला जाता है?
एक बार श्री राधारानी और
भगवान श्री कृष्ण में
वार्तालाप हो रहा था।

कृष्ण:- अच्छा तुम बताओ .... अगर मैं कृष्ण
न होकर कोई वृक्ष होता तो ??
तब तुम क्या करतीं ???

श्री राधे ने अपने गुस्से को ठंडा करते हुए
कहा:- तो मैं लता बनकर तुम्हारे चारों
तरफ लिपटी रहती...

कृष्ण ने राधे को मनाने वाली बच्चों के जैसी मुस्कान देकर कहा :- और अगर मैं यमुना
नदी होता तो???

श्री राधे ने उत्तर दिया " हम्म्म्म् .... तब मैं लहर
बनकर तुम्हारे साथ -साथ बहती ... श्याम सुंदर !!!"
( श्री राधे के मुख का गुलाबी रंग वापिस लौट आया...वे ठुड्ढी के नीचे अपना हाथ रखकर अगले प्रश्न की प्रतीक्षा करने लगीं)

कृष्ण ने निकट घास चरती एक गाय की ओर
संकेत करके बोले
"अच्छा!! ... मैं उसकी तरह गाय होता तो???
....तो तुम क्या करतीं???

श्री राधे, कान्हा जी के गाल खींचते हुए
बोलीं...... तो मैं घणटी बनकर आपके गले में
झूमतीं रहती प्राणनाथ.... परन्तु आपका
पीछा नहीं छोड़ती....

फिर अगले कुछ पलों तक वहां शांति
छाई रही.... केवल यमुना की लहरें और
मोर की आवाज ही सुनाई दे रही थीं...

श्री राधे ने चुप्पी तोडते हुए
कान्हा जी से पूछा... ??

" आप मुझसे कितना प्यार करते हो मेरे
प्राणनाथ??? ... मेरा तात्पर्य यदि... हमारे प्रेम
को अमर करने के लिए कोई वचन देना हो... तो आप क्या वचन देगें....???"

कृष्ण ने राधे के कर कमलों को स्पर्श करते
हुए कहा... " मैं तुम्हें इतना प्रेम करता हूं राधे ...
कि जो भी भक्त तुम्हें स्मरण करके 'रा' शब्द
बोलेगा... मैं उसी पल उसे अपनी अविरल भक्ति प्रदान कर दूंगा। और पूरा 'राधे' बोलते ही मैं स्वयं उसके पीछे पीछे चल दूंगा...।"

श्री राधे ने अपने नैनो में प्रेम के अश्रु भरकर कहा:- और मैं आज वचन दतीं हूं मेरे कान्हा!!..

मेरे भक्त को कुछ बोलने की भी आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी... जहां भी जिस किसी के
हृदय में आपके लिए,आपके नाम के प्रति
सच्चा प्रेम होगा... मैं स्वयं आपको जबरन लेकर उसके पीछे पीछे चलूंगी...।।

तो प्रेम से बोलो - श्री राधे कृष्ण



© Shaayar Satya